कुछ गाँठ की कुछ बंधन की
अजित वडनेरकर
गठबंधन बड़ा मजे़दार शब्द है। यह दो अलग-अलग शब्दों से मिल कर बना है – गठ + बंधन। गठ शब्द बना है संस्कृत की धातु ग्रथ् से। इस से ही बना है ग्रन्थः जिसका मतलब हुआ एक जगह जमा, झुण्ड, लच्छा, गुच्छा आदि। पुस्तक, किताब, साहित्यिक रचना, प्रबंध जैसे अर्थोंवाला ग्रन्थ इसी से जन्मा है। गौर करें कि पुस्तक विभिन्न पृष्ठों का समुच्चय या झुण्ड है। ग्रन्थ से बनी ग्रन्थिः। इससे ही हिन्दी में बने गाँठ या गठान जिसका मतलब है रस्सी का बंधन, जोड़, उभार, जमाव आदि। गाँठ जिस्म में भी पड़ती है और मन में भी। मन की गाँठ भी किन्हीं विचारों का जमाव ही है जो ग्रन्थि के रूप में हमारे व्यवहार में नजर आता है। रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय। जोड़े से भी ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ि जाय।
शरीर की पेशियों, नसों में भी अक्सर ग्रन्थि विकसित हो जाती है जो त्वचा पर उभार ला देती है। इसे भी गाँठ ही कहते हैं। सिखों में जो पुरोहित होता है, वह ग्रन्थी कहलाता है। यह बना है संस्कृत के ग्रन्थिकः से। पुरोहितों का काम पोथी-पुराणों के बिना चलता नहीं, सो ग्रन्थ से जुड़ा ग्रंथी। कपडों, किताबों या अन्य वस्तुओं की पैकिंग को गट्ठर कहा जाता है। पोटली को गठरी कहते हैं। ये भी ग्रंथ से बने हैं। अच्छी तंदुरुस्ती वाले को गठीला, सजीला भी कहा जाता है।
फलों के बीज आम तौर पर गुठली कहलाते हैं जो इससे ही संबंधित है। एक कहावत ने तो आम की गुठली को ही मशहूर कर दिया है।
जब ग्रन्थ के पन्नों को जोड़ा जा रहा होता है तो इस क्रिया को ग्रन्थनम् कहते हैं। इससे ही बना है गाँठना। यानी चीजों को मिलाना, जमाना, एक साथ रखना। आज गाँठना शब्द से बने रौब गाँठना, रिश्ते गाँठना जैसे मुहावरे प्रचलित हैं। गाँठना शब्द आज नकारात्मक अर्थ में ही प्रयोग होता है। यानी जोड़-जुगाड़ में लगे रहना।
जब गाँठने की क्रिया सम्पन्न हो जाती है तो उस का गठन हो जाता है। यानी उसका समु्च्चय बन जाता है। एकता के अर्थ में संगठन शब्द इससे ही बना है। ग्रन्थ से बने और भी कई शब्द हिन्दी की विभिन्न बोलियों में तलाशने पर मिल जाएँगे जैसे - गठीला, गठौत, गठड़िया और गठजोड़ आदि।
संस्कृत की बंध् धातु से ही बना है हिन्दी का बंधन शब्द। इसी तरह रोकना, ठहराना, दमन करना जैसे अर्थ भी बंध् में निहित हैं। हिन्दी-फारसी के साथ-साथ यूरोपीय भाषाओं में भी इस बंधन का अर्थ विस्तार जबरदस्त रहा। जिससे आप रिश्ते के बंधन में बँधे हों वह कहलाया बंधु अर्थात भाई या मित्र। इसी तरह जहाँ पानी को बंधन में जकड़ दिया उसे कहा गया बाँध। बंधन में रहनेवाले व्यक्ति के संदर्भ में अर्थ होगा बंदी यानी कैदी। इस से ही बंदीगृह जैसा शब्द भी बना। बहुत सारी चीजों को जब एक साथ किसी रूप में कस या जकड़ दिया जाए तो बन जाता है बंडल। गौर करें तो हिन्दी-अंग्रेजी में इस तरह के और भी कई शब्द मिल जाएँगे, मसलन - बंधन, बंधुत्व, बाँधना, बंधेज, बाँधनी, बाँध, बैंडेज, बाउंड, रबर बैंड, बाइंड, बाइंडर वगैरह-वगैरह। अंग्रेजी के बंडल और फारसी के बाज प्रत्यय के मेल से हिन्दी में एक मुहावरा भी बना है - बंडलबाज जिसका मतलब हुआ गपोड़ी, ऊँची हाँकनेवाला, हवाई बातें करनेवाला या ठग। इस रूप में आपस में गठबंधन करनेवाले सभी नेता बंडलबाज समधी हुए कि नहीं?
अब बात करें फारसी में संस्कृत बंध् के प्रभाव की। जिस अर्थ प्रक्रिया ने हिन्दी में कई शब्द बनाए उसी के आधार पर फारसी में भी कई लफ्ज बने हैं, जैसे बंद: जिसे हिन्दी में बंदा कहा जाता है। इस लफ्ज के मायने होते हैं गुलाम, अधीन, सेवक, भक्त वगैरह। जाहिर-सी बात है कि ये तमाम अर्थ भी एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के प्रति बंधन ही प्रकट कर रहे हैं। इसी से बना बंदापरवर यानी प्रभु, ईश्वर। वही तो भक्तों की देखभाल करते हैं। प्रभु में लीन हो जाना, बँध जाना ही भक्ति है। इसीलिए फारसी में भक्ति को कहते हैं बंदगी। इसी तरह एक और शब्द है बंद, जिसके कारावास, अंगों का जोड़, गाँठ, खेत की मेड़, नज्म या नग्मे की एक कड़ी जैसे अर्थों से भी जाहिर है कि इसका रिश्ता बंध् से है।
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